मुलाकात की दुआएँ

Mulaqat ki Duaayein

किसी मुसलमान से मुलाकात के वक़्त कहें:

السَّلَامُ عَلَيْكُمْ وَ رَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ

अस्सलामु अलैकुम वरह्मतुल्लाहि व ब-रकातुह 1

तर्जुमा: तुम पर सलामती हो और अल्लाह की रहमत और उसकी बरकतें हों।

फजीलत : 

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया अस्सलामु अलैकुम कहने पर दस नेकियाँ वरहूमतुल्लाहि का इज़ाफह करने (बढ़ाने) से बीस नेकियाँ और व ब-रकातुहू का इज़ाफह करने से तीस नेकियाँ मिलती हैं। 


कोई और सलाम करे तो उसके जवाब में कहें:

وَ عَلَيْكُمُ السَّلَامُ وَ رَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ

व अलैकुमुस्सलाम व रहमतुल्लाहि व ब-रकातुह.

तर्जुमा : और तुम पर भी सलामती हो और अल्लाह की रहमतें और उसकी बरकतें हों।

वजाहत : 

जब कोई सलाम करे तो उस के जवाब से अच्छा जवाब देना चाहिए । या फिर उन ही अल्फाज़ को लौटा देना चाहिए क्योंकि हुक्मे इलाही (अल्लाह का हुक्म) है “वइजा हुय्यितुम बि-तहिय्यतिन यू बि-अस-न मिन्हा अव् रुददूहा” 2


कोई किसी का सलाम पहुंचाए तो कहें:

عَلَيْكَ وَ عَلَيْهِ السَّلَامُ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ

अलै-क-वअलैहिस्सलामु वरहमतुल्लाहि व  बरकातुह 3 (हसन) 4

तर्जुमा : तुम पर और उस पर सलामती हो और अल्लाह की रहमत और उस की बरकतें हों।

वज़ाहत : एक आदमी ने नबी ﷺ की खिदमत में आकर कहा के मेरे वालिद ने आपको सलाम कहा है। तो आप ﷺ ने सलाम के जवाब में सलाम लाने वाले को भी शामिल कर के यूँ कहा के तुम पर और तुम्हारे वालिद पर सलाम हो।


जहाँ कोई न हो तो वहाँ सलाम यूँ कहें:

السَّلَامُ عَلَيْنَا وَ عَلَى عِبَادِ اللَّهِ الصَّالِحِينَ 

अस्सलामु अलैना वअलाइबादिल्लाहिस्सालिहीन. 5 (हसन) 

तर्जुमा: हम पर सलामती हो और अल्लाह के नेक बंदों पर।


गैर मुस्लिम सलाम करे तो जवाब में कहें:

وَعَلَيْكُمْ

व-अलैकुम 6

तर्जुमा: और तुम पर भी।

वज़ाहत : रसूलुल्लाह ﷺ ने गैर मुस्लिम को सलाम करने से मना फरमाया है। 7


गैर मुस्लिम को ख़त में सलाम लिखना हो तो यूँ लिखें:

السَّلَامُ عَلى مَنِ اتَّبَعَ الْهُدَى – سورة طه ۴۷

अस्सलामु अला मनित् तबअल हुदा. (सूरह ताहा 47)

तर्जुमा : उस पर सलामती हो जो हिदायत का पाबंद हो जाए। 

वजाहत : रसूलुल्लाह ﷺ ने रूम के गैर मुस्लिम बादशाह ‘हिरकल’ को यही सलाम लिखा। 8


मुस्लिम और गैर मुस्लिम को ख़त के शुरू में लिखें:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

بِسمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ

तर्जुमा : शुरु अल्लाह के नाम से जो बड़ा महेरबान और निहायत रहमवाला है।

वज़ाहत:

1. रसूलुल्लाह ﷺ ने गैर मुस्लिम बादशाह ‘हिरकल’ को खत लिखा तो ‘बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम’ से अपना ख़त शुरु किया। 9 (सहीह)

2. हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने गैर मुस्लिम मलिका (बादशाह) बिल्कीस को ख़त लिखा तो ‘बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम’ से अपना ख़त शुरु किया। 10

‘बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम’ के बजाए ‘786’ लिखना इस्लामी तालीम के बिल्कुल ख़िलाफ है।

  1. सुनन अबी दाऊद : किताबुल अदब ( 5195) ↩︎
  2. सूरह निसाअ : 86 पारह 5 ↩︎
  3. सुनन अबी दाऊद : किताबुल अदब ( 5231) ↩︎
  4. सहीह बुख़ारी : बदऊल ख़ल्क (2/252) ↩︎
  5. फत्हुलबारी : इफशाइस्सलाम (11/20) ↩︎
  6. सहीह मुस्लिम : किताबुस्सलाम (5/355) ↩︎
  7. सहीह मुस्लिम : किताबुस्सलाम ( 5/357 ) ↩︎
  8. सहीह तिर्मिज़ी : किताबुलइस्तीज़ान (3/2717) ↩︎
  9. सहीह सुननुत्तिर्मिज़ीलिलअल्बानी : किताबुल इस्तीज़ान ( 3 / 2717 ) ↩︎
  10. सूरह नमल: आयत 30 ↩︎
Mulaqat ki Dua in hindi