दुश्मनों के लिए बद्दुआएँ

Dushmano ke liye Badduaein

दुश्मनों से बचने की दुआ:

اَللّهُمَّ إِنَّا نَجْعَلُكَ فِى نُحورِهِمْ، وَنَعُوذُ بِكَ مِنْ شُرُوْرِهِمْ  

अल्लाहुम्म-इन्ना – नज्अलु-क फी नुहूरिहिम, व नऊजुबि-क-मिन शुरुरिहिम 1 (सहीह)

तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! हम तुझे उनके मुकाबले में करते हैं और उनके शर (बुराई) से तेरी पनाह चाहते हैं।


कुनुते नाज़िला (दुश्मनों पर बद्दुआ)

اللهُمَّ اغْفِرُ لَنَا وَ لِلْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ ، وَالْمُسْلِمِينَ وَالْمُسْلِمَاتِ، وَالِفَ بَيْنَ قُلُوبِهِمْ، وَاَصْلِحْ ذَاتَ بَيْنِهِمْ، وَانْصُرُهُمْ عَلَى عَدُوّكَ وَعَدُوِّهِم، اللهُمَّ الْعَنْ كَفَرَةَ أَهْلِ الْكِتَابِ الَّذِينَ يَصُدُّونَ عَنْ سَبِيلِكَ ، وَيُكَذِّبُونَ رُسُلَكَ، وَيُقَاتِلُونَ أَوْلِيَاتَكَ، اللَّهُمْ خَالِفُ بَيْنَ كَلِمَتِهِمْ وَزَلْزِلُ أَقْدَامَهُمْ ، وَانْزِلُ بِهِمْ بَأْسَكَ الَّذِي لَا تَرُدُّهُ عَنِ

अल्लाहुम्मग़फ़ीर लना-वलिल  मुअमिनी-न वल मुअमिनात, वल मुस्लिमीन वल मुस्लिमात, व अल्लिफ बै-न कुलूबिहिम व-अस्लिह-जा-त बैनिहिम, वन्सुर हुम अला अदुव्वि-क व अदुव्विहिम, अल्लाहुम्मल्अन क-फ-र-त अहलिल् किताबिल्लज़ी-न यसुदू-न अन सबीलिक, वयुकज्ज़िबू-न रसुलक, व युकातिलू-न औलिया अक, अल्लाहुम्म ख़ालिफ बै-न कलिमतिहिम, वज़ल-जिल अकदामहुम, व अन्जिल बिहिम, बअसकल्लजी लातरूद्दुहु अनिल कौमिल मुजरिमीन 2 (सहीह)

तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! तू हम को बख़्श दे और मोमिन मर्दों और मोमिना औरतों को और मुसलमान मर्दों और मुसलमान औरतों को और उनके दिलों को जोड़ दे और उनके दरमियान (बीच) इस्लाह कर दे।

और अपने और उनके दुश्मनों पर उन की मदद फरमा। ऐ अल्लाह ! तू लानत फरमा अहले किताब (यहूदी और ईसाई) के काफिरों पर जो तेरे रास्ते से रोकते हैं और तेरे रसूलों को झुटलाते हैं और तेरे नेक बंदों से लड़ाई करते हैं, ऐ अल्लाह ! तू उनके दरमियान इख़्तिलाफ डाल दे और उनके कदमों को डगमगा दे और तू उन पर वो अज़ाब नाज़िल फरमा जो तू मुजरिम (गुनहगार) कौम से टालता नहीं।

वज़ाहत : आफत और मुसीबत के वक़्त फजर, जोहर, असर, मग्रिब और इशा की फर्ज़ नमाज़ की आख़री रकअत में रूकूअ के बाद यह दुआ पढ़नी चाहिए। 3 (हसन)

  1. सुनन अबीदाऊद : किताबुस्सलात (1537) ↩︎
  2. अस्सुननुल कुबरा लिलबयहकी : (2/210-211) ↩︎
  3. सुनन अबीदाऊद : किताबुस्सलात ( 1443) ↩︎
Dua e Qunoot in hindi