बीमारी, बुखार और मुसीबत की दुआएँ

Bimar ki Ayadat ki Dua, Bimar ko Dekhne ki Dua, Bimari se Shifa ki Dua, Bukhar ki Dua, Bukhar Utarne ki Dua, Dard ki Dua, Mariz ke liye Dua, Musibat ki Dua

बुखार की दुआ:

بِسْمِ اللَّهِ الْكَبِيرِ، أَعُوذُ بِاللَّهِ الْعَظِيمِ، مِنْ شَرِّ عِرْقٍ نَعَّارٍ، وَمِنْ شَرِّ حَرِّ النَّارِ

बिसमिल्लाहिल कबीरी, अऊज़ु बिल्लाहिल अज़ीमि मिन शर्रि कुल्ली अर्किन ना आरिन व मिन शर्रि हर्रिन नार 1

तर्जुमा: मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत बड़ा है, मैं बहुत ही ज्यादा अज़मत वाले अल्लाह की पनाह माँगता हूँ, हर जोश मारने वाली रग की बुराई से और आग की गर्मी की बुराई से।


बीमार, मरीज़ को दम करने की दुआएँ:

बीमार इन दुआओं से अपने ऊपर दम करे।

1. सूरह फातिहा पढ़ कर अपने ऊपर दम करे 2

2. मुअव्विजात (सूरह इख़्लास, सूरह फलक और सूरह नास) पढ़कर अपने पूरे जिस्म पर हाथ फेरे। 3
देखे: सूरह इख्लास | سورة الإخلاص

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ ‏ اللَّهُ الصَّمَدُ ‎ لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ وَلَمْ يَكُن لَّهُ كُفُوًا أَحَدٌ ‎

कुल हुवल्लाहु अहद, अल्लाहुस्समद, लम् यलिद वलम यूलद, वलम कुल्लहू कुफुवन अहद.

तर्जुमा: आप कह दीजिए के वह अल्लाह एक है, अल्लाह बेनियाज़ (बेपरवा) है । न उससे कोई पैदा हुआ, और न वह किसी से पैदा किया गया और न उसका कोई हमसर (बराबर ) है । [सूरह अल-इख़लास]

देखे: सूरह फलक | سورة الفلق

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ وَمِن شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ وَمِن شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَِ

कुल अऊजु बिरब्बिल फलक, मिन शर रिमा ख़लक़, वा-मिन शर रिग़ासिकिन इज़ा वकब, व-मिन शर रिन नफ़फ़ासाति फ़िल उक़द, व-मिन शर रिहासिदिन इज़ा हसद

तर्जुमा: (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं सुबह के मालिक की (1) हर चीज़ की बुराई से जो उसने पैदा की पनाह माँगता हूँ (2) और अंधेरीरात की बुराई से जब उसका अंधेरा छा जाए (3) और गन्डों पर फूँकने वालियों की बुराई से (4) (जब फूँके) और हसद करने वाले की बुराई से (5) [सूरह फलक]

देखे: सूरह नास | سورة الناس

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ مَلِكِ النَّاسِ إِلَٰهِ النَّاسِ مِن شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ

कुल अऊजु बिरब्बिन नास , मलिकिन नास, इलाहिन नास, मिन शर रिल वसवा सिल खन्नास, अल्लज़ी युवस विसु फी सुदूरिन नास, मिनल जिन्नति वन नास

तर्जुमा: (ऐ रसूल) तुम कह दो मैं लोगों के परवरदिगार (1) लोगों के बादशाह (2) लोगों के माबूद की (शैतानी) (3) वसवसे की बुराई से पनाह माँगता हूँ (4) जो (ख़ुदा के नाम से) पीछे हट जाता है जो लोगों के दिलों में वसवसे डाला करता है (5) जिन्नात में से ख्वाह आदमियों में से (6) [सूरह अन-नास]


اذْهَبِ الْبَاسَ، رَبِّ النَّاسِ، وَاشْفِ أَنْتَ الشَّافِى لَا شِفَاءَ إِلَّا

شِفَالُكَ شِفَاءٌ لَّا يُغَادِرُ سَقَماً 

3. अज़हबिल बअस रब्बन्नास वश्फि अन्तश्शाफी ला शिफाअ इल्लाशिफाउक शिफाअल्ला युगादिरू स-क-मा 4

तर्जुमा : तकलीफ दूर कर दे ऐ लोगों के रब और तू शिफा दे, तू ही शिफा देने वाला है, कोई शिफा नहीं मगर तेरी ही शिफा है, ऐसी शिफा दे जो कोई बीमारी न छोड़े।


اَسْئَلُ اللهَ الْعَظِيمَ، رَبِّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ أَن يُشْفِيَكَ  

4. अस्सलुल्लाहल अज़ीम, रब्बल अर्शिल अज़ीम, ऐ श्फीयक. (सात बार) 5 (सहीह)

तर्जुमा : मैं सवाल करता हूँ अल्लाहे अज़ीम से जो अर्शे अज़ीम का रब है वह तुझे शिफा दे।

फाइदा : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया अगर बीमार की मौत न आई हो तो अल्लाह उसे ज़रूर शिफा देगा।


दर्द की दुआ:

दर्द की जगह सीधा हाथ रख कर यह दुआ पढ़े :

بِسمِ اللهِ

اَعُوذُ بِاللهِ وَ قُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَ أَحَاذِرُ (سات بار)

बिस्मिल्लाह (तीन बार)
अऊजुबिल्लाहि व कुद्रतिहि मिन शर्रि मा अजिदु व उहाज़िर. (सात बार) 6

तर्जुमा: अल्लाह के नाम से शुरु। मैं पनाह माँगता हूँ अल्लाह की और उस की कुदरत की इस बुराई से जिस को मैं पाता हूँ और जिस से मैं डरता हूँ।


बीमारी और गम की हालत में पढ़ने की दुआएँ:

لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ سُبْحْنَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّلِمِينَ سورة انبياء

1. ला इलाह इल्ला अन्त सुब्हान-क इनी कुन्तु – मिनज्- जालिमीन 7

तर्जुमा : तेरे सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं, तू पाक है बेशक मैं ज़ालिमों में से हूँ ।


أنِّي مَسَّنِيَ الضُّرُّ وَ أَنْتَ اَرْحَمُ الرَّحِمِينَ سورة انبياء

2. अन्नी मस्सनियज्- जुरु व अन्त अरहमुर राहिमीन. 8

तर्जुमा : बेशक मुझे तकलीफ पहुँची है, और तू रहम करने वालों से ज़्यादा रहम करने वाला है ।


اللهُ اللَّهُ رَبِّي لَا أُشْرِكُ بِهِ شَيَا 

3. अल्लाहु अल्लाहु रब्बी, ला उश्रिकु बिही शैआ. 9 (सहीह) 

तर्जुमा : अल्लाह अल्लाह मेरा रब है, मैं उस के साथ किसी चीज़ को शरीक नहीं करता।


يا حيّ، يا قيوم، برحمتك أستغيث.

4. या हय्यु, या कय्यूम, बि-रहमति क अस्तगीस. 10 (हसन)

तर्जुमा : ऐ ज़िन्दह ! ऐ काइम रखने वाले मैं तेरी रहमत से मदद माँगता हूँ। 


حَسْبُنَا اللهُ وَنِعْمَ الْوَكِيلُ عَلَى اللَّهِ تَوَكَّلْنَا۔  

5. हस्बुनल्लाहु व-निअमल वकील, अ-लल्लाहि तवक्कल्ना. 11 (सहीह) 

तर्जुमा : हम को अल्लाह काफी है और वह अच्छा वकील है, हमने अल्लाह पर भरोसा किया है।


للَّهُمَّ رَحْمَتَكَ اَرْجُو فَلَا تَكِلْنى إِلَى نَفْسِي طَرْفَةَ عَيْنٍ وَ أَصْلِحْ لِى شَأْنِي كُلَّهُ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ  

6. अल्लाहुम्म रहमत क अर्जू फला तकिल्नी इला नफ्सि तर-फ-त ऐनिन् वअस्लिह-ली शअनी कुल्लहु ला इलाहा इल्ला अन्त. 12 (हसन)

तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मैं तेरी रहमत की उम्मीद करता हूँ, पस तू मुझे आँख झपकने तक भी मेरे नफ्स के हवाले न करना और मेरे हर मामले को ठीक कर दे, तेरे सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं।


बीमार या मुसीबत ज़दह को देख कर पढ़ने की दुआ:

الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِى عَافَانِي مِمَّا ابْتَلَاكَ بِهِ ، وَ فَضْلَنِي عَلَى كَثِيرٍ مِّمَنْ

अल्हम्दुलिल्लाहिल्लज़ी आफानी – मिम्मब्तला – क बिह, वफज़्ज़-लनी अला कसीरिम् मिम्मन ख़-ल-क तफ-जीला. 13 (सहीह)

तर्जुमा : अल्लाह का शुक्र है जिस ने मुझे आफियत दी, इस (तकलीफ) से जिस में तुम मुब्तला हो और मुझे अपनी बहुत सी मख़्लूकों पर फज़ीलत दी।

फाइदा: रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जिस ने किसी मुसीबत वाले को देख कर यह दुआ पढ़ी तो अल्लाह उसको उस मुसीबत में मुब्तला नहीं करेगा।


बिमार को हिम्मत दिलाने की दुआ:

لَا بَأْسَ طُهُورٌ إِن شَاءَ اللَّهُ

ला ब-स तुहूरून इन्शाअल्लाह. 14

तर्जुमा : कोई हर्ज नहीं (यह गुनाहों से पाकी है) अगर अल्लाह ने चाहा।


बीमार की इयादत (ख़बर) का सवाब:

फजीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जो मुसलमान सुब्ह के वक़्त किसी मुसलमान की इयादत करता है तो सत्तर हज़ार फरिश्ते शाम तक उसके लिए दुआ करते हैं और अगर शाम के वक़्त किसी बीमार की इयादत करता है तो सत्तर हज़ार फरिश्ते सुब्ह तक उसके लिए दुआ करते हैं और उसके लिए जन्नत में चुने हुए फल होंगे। 15 (सहीह) 


नज़रे बद दूर करने की दुआएँ:

بِسمِ اللهِ أَرْقِيكَ مِنْ كُلِّ شَيْءٍ يُؤْذِيكَ مِنْ شَرِّ كُلِّ نَفْسٍ أَوْ عَيْنٍ حاسِدٍ، اللَّهُ يَشْفِيكَ، بِسْمِ اللَّهِ أَرْقِيكَ

1. बिस्मिल्लाहि अरकीक, मिनकुल्लि शैंइं यूजीक, मिन शर्रिकुल्लि नफ़्सिन औ- ऐनिन् हासिद, अल्लाहु यश्फीक, बिस्मिल्लाहि अरकीक. 16

तर्जुमा : अल्लाह के नाम से मैं तुम पर दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो तुम को तकलीफ देती है, हर नफ्स या हसद करने वाली आँख की बुराई से, अल्लाह तुम को शिफा दे। अल्लाह के नाम से दम करता हूँ।


اَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللهِ التّامَّةِ مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَ مِنْ كُلِّ عَيْنٍ لَّامَّةٍ  

2. अऊजूबि -कलिमातिल्लाहित्ताम्मती मिन कुल्ली शैतानिंव व् हाम्मतिंव व मिन कुल्लि अैनिल्लाम्मह 17

तर्जुमा : मैं अल्लाह के पूरे कलिमों के जरीए पनाह माँगता हूँ हर की बुराई से और हर तकलीफ देने वाले जानवर की बुराई से और हर नज़र लगने वाली आँख की बुराई से।

वजाहत : रसुलअल्लाह ﷺ हज़रत हसन (रजि) और हज़रत हुसैन (रजि) के लिए इन कलिमों से पनाह माँगते थे और फरमाते थे के हज़रत इब्राहीम (अ.स.) हज़रत इस्माईल अ.स.) और हज़रत इस्हाक (अ.स.) के लिए इन्ही कलिमों से पनाह माँगा करते थे।


बीमारी, ज़ख़्म और फुन्सी की दुआ:

بِسمِ اللهِ تُرْبَةُ اَرْضِنَا بِرِيقَةِ بَعْضِنَا لِيُشْفَى بِهِ سَقِيمُنَا، بِإِذْنِ رَبَّنَا 

बिस्मिल्लाहि तुरबतु अर्जिना, बिरीकति बअजिना, लियुश्फा बिही सकीमुना, बिइज़नि रब्बिना 18

तर्जुमा : अल्लाह के नाम से हमारी ज़मीन की मट्टी है, हम में से किसी का थूक है, ताकि हमारे बीमार को इस से शिफा मिले, हमारे रब के हुक्म से।


  1. तिर्मिज़ी : 2075 ↩︎
  2. सहीह बुखारी : किताबुत्तिब्ब ( 3 / 327) ↩︎
  3. सहीह बुखारी : किताबुत्तिब्ब ( 3 / 327) ↩︎
  4. सहीह मुस्लिम : किताबुस्सलाम ( 5/373) ↩︎
  5. सुनन अबीदाऊद : किताबुल जनाइज़ (3106) ↩︎
  6. सहीह मुस्लिम : किताबुस्सलाम ( 5 / 379 ) ↩︎
  7. सूरह अम्बिया 87 ↩︎
  8. सूरह अम्बिया 83 ↩︎
  9. सुनन अबी दाऊद : किताबुस्सलात ( 1525) ↩︎
  10. सहीह तिर्मिज़ी : किताबुददवात ( 3 / 3524) ↩︎
  11. सहीह तिर्मिज़ी : किताबुसिफतिल कियामह ( 2/2431) ↩︎
  12. सुनन अबीदाऊद : किताबुल अदब (5090) ↩︎
  13. सहीह तिर्मिज़ी : किताबुददअवात (3 / 3432) ↩︎
  14. सहीह बुख़ारी : किताबुल मर्ज़ा (3/299) ↩︎
  15. सहीह तिर्मिज़ी : किताबुल जनाइज़ (1/969) ↩︎
  16. सहीह मुस्लिम : किताबुस्सलाम (5/370) ↩︎
  17. सहीह बुख़ारी : किताबु बदइल खल्क (2/315) ↩︎
  18. मुख़्तसर सहीह मुस्लिम लिलअल्बानी : किताबुर्खका (1458) ↩︎