Wuzu ki Duaayein
वुज़ू और तयम्मुम शुरु करने की दुआ:
بِسْمِ اللَّهِ
बिस्मिल्लाह 1
तर्जुमा : अल्लाह के नाम से।
वजाहत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया उस की नमाज़ नहीं होगी जिसने वुज़ू नहीं किया और उसका वुज़ू नहीं जिसने वुज़ू पर अल्लाह का नाम नहीं लिया।
वुज़ू और तयम्मुम के बाद की दुआ:
اَشْهَدُ أَنْ لا إِلَهَ إِلَّا اللهُ، وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ ، وَ أَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَ رَسُولُهُ – اَللّهُمَّ اجْعَلْنِى مِنَ التَّوَّابِينَ وَاجْعَلْنِي مِنَ الْمُتَطَهِّرِينَ
अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु वह्दहू ला शरी-क लहू व अश्हदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह। अल्लाहुम्मज्अत्नी मिनत तव्वाबी-न वज्अत्नी मिनल मु-त- तहहिरीन। 2
तर्जुमा: मैं गवाही देता हूँ के अल्लाह के सिवा कोई इबादत (परस्तिश ) के लाइक नहीं, वह अकेला है उसका कोई शरीक (साझी, पार्टनर) नहीं और मैं गवाही देता हूँ के बेशक मुहम्मद ﷺ उसके बंदे और उसके रसूल हैं। ऐ अल्लाह मुझ को तौबा करने वालों में से बना और पाक रहने वालों में से बना।
फजीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया : जो अच्छी तरह वुज़ू कर के यह दुआ पढ़े उसके लिए जन्नत के आठों दरवाज़े खोल दिए जाते हैं, जिस दरवाज़े से चाहे वह जन्नत में दाख़िल हो जाए।
- सुनन अबी दाऊद : किताबुत्तहारह ( 101 ) ↩︎
- सहीह सुननुत्तिर्मिज़ी लिल अल्बानी : किताबुत्तहारह (1 / 55 ) ↩︎