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Durood o Salam
आखरी नबी का नाम मुहम्मद या अहमद आए तो कहें:
صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
तर्जुमा: आप पर अल्लाह की रहमत और उस की सलामती हो ।
वजाहत :
- रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया उस आदमी की नाक ख़ाक आलूद (जलील) हो जिस के सामने मेरा ज़िक्र आए और वह मुझ पर दरुद न पढ़े। 1 (सहीह)
- रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया के वह आदमी बख़ील और कंजूस है जिसके सामने मेरा ज़िक्र हो और वह मुझ पर दरूद न पढ़े। 2 (सहीह)
फजीलत :
रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया के जिब्रईल मेरे पास आए और कहा के तुम्हारे रब (पालनेवाले) ने कहा है के जो एक मर्तबा तुम पर दरुद पढ़ेगा मैं उस पर दस रहमतें भेजूँगा और जो एक मर्तबा तुम पर सलाम भेजेगा मैं उस पर दस बार सलामती भेजूँगा। 3 (हसन)
किसी दूसरे नबी का नाम आए तो कहें:
عَلَيْهِ الصَّلوةُ وَالسَّلَام
अलैहिस्सलातु वस्सलाम
तर्जुमा: उन पर अल्लाह की रहमत और सलाम हो।
एक से ज़ियादह नबियों का नाम लें तो कहें:
عَلَيْهِمُ الصَّلوةُ وَالسَّلامُ
अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम
तर्जुमा : उन सब पर अल्लाह की रहमत और सलामती हो ।
वज़ाहत : उस हदीस के तहत जिस में आप (ﷺ) का फरमान है के नबी के अलावह किसी पर दरुद न भेजो 4(सहीह )
दरुदे इब्राहीमी :
اللهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَّ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ، كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَ عَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَّجِيدٌ اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ وَّ عَلَى آلِ مُحَمَّدٍ ، كَمَا بَارَكْتَ
عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ، إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
अल्लाहुम्म सल्लि अला मुहम्मदिंव व अला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लय्-त अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीम इन-क हमीदुम मजीद,
अल्लाहुम्म बारिक अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारक-त अला इब्राही म व अला आलि इब्राहीम इन्न-क हमीदुम मजीद। 5
तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! रहमत फरमा मुहम्मद (ﷺ) पर और मुहम्मद (ﷺ) की आल (घरवालों) पर जैसा के तूने रहमत फरमाई इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर और इब्राहीम अलैहिस्सलाम की आल पर बेशक तू तारीफ के लाइक बुजुर्गीवाला है।
ऐ अल्लाह ! बरकत नाज़िल फरमा ( उतार) मुहम्मद (ﷺ) पर और मुहम्मद (ﷺ) की आल पर जैसा के तूने बरकत नाज़िल फरमाई इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर और इब्राहीम अलैहिस्सलाम की आल पर बेशक तू तारीफ के लाइक बुजुर्गीवाला है।
फजीलत:
- रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया के जो मुझ पर एक बार दरुद भेजेगा अल्लाह उस पर दस रहमतें भेजेगा और उसके दस गुनाह माफ होंगे और उसके दस दर्जे बुलंद (ऊँचे) होंगे। 6 (सहीह)
- रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया के जुमा का दिन तुम्हारे दिनों में अफ्ज़ल दिन है तो तुम उस दिन मुझ पर खूब दरुद पढ़ो। 7 (सहीह)
- सहीह सुननुत्तिर्मिज़ी लिल्अल्बानी : किताबुद दवात ( 3 / 3545 ) ↩︎
- सहीह सुननुत्तिर्मिज़ी लिल्अल्बानी : किताबुद दवात ( 3 / 3546) ↩︎
- सुननुन्नसई : किताबुस्सहव ( 1283) ↩︎
- फज़लुस्सलात अलन्नबी बहवालह दरूद शरीफ के मसाइल मुसन्निकुहु इक़बाल कैलानी । ↩︎
- सहीह बुख़ारी : किताबु बदइल खल्क (2 / 314 ) ↩︎
- सुननुन्नसई : किताबुस्सहव (1297) ↩︎
- सुनन अबी दाऊद : किताबुस्सलात (1531) ↩︎