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Nikah ki Duaayein
इस्तिख़ारह (अल्लाह से भलाई माँगने) की दुआ:
اللَّهُمْ إِنِّي أَسْتَخِيرُكَ بِعِلْمِكَ، وَاسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ ، وَاسْتَلْكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ، فَإِنَّكَ تَقْدِرُ وَلَا أَقْدِرُ، وَتَعْلَمُ وَلَا أَعْلَمُ، وَأَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ – اللَّهُمْ إِن كُنتَ تَعلَمُ أنَّ هذا الأمر (اپی ضرورت کا نام لیں) خَيْرٌ لِّي فِي دِينِي وَ مَعَاشِي وَعَاقِبَةِ امرى، فَاقْدُرُهُ لىَ وَ يَسِرُهُ لِى ، ثُمَّ بَارِك لى فِيهِ، وَ إِن كُنتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الْأمْرَ شَرَ لِي فِي دِينِي وَ مَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي، فَاصْرِفْهُ عَنِّى وَاصْرِفْنِي عَنْهُ، وَاقْدُرُ لِيَ الْخَيْرَ حَيْثُ كَانَ، ثُمَّ أَرْضِنِي بِهِ –
अल्लाहुम्म इन्नी अस्तख़ीरू-क बिइल्मी-क, वअस्तकदिरुक बि-कुदरतिक, व अस्अलु-क मिन फज्लिकल अज़ीम, फइन्नक तकदिरु-वला अकदिरु-वतअलमु वला अअलमु व अन्त अल्लामुल गुयूब, अल्लाहुम्म-इन-कुन्त- तअलमु- अन्नहाज़ल अम्र (अपनी ज़रुरत जो भी हो उस का नाम लें) ख़ैरुल्ली फी दीनी व-मआशी वआकिबति अम्री, फक-दुरहु ली, व यस्सिरहु ली सुम्म बारिकली फीही,
इन-कुन्त-तअलमु-अन्न हाज़ल अम्र शर-रूल्ली फी दीनी, व-मआशी, वआकिबति अम्री, फसरीफ़हु अन्नी-वसरिफनी अन्हु, वक-दुरलियल ख़ैर, हैसु का-न-सुम्म अरज़िनी बिह 1
तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मैं तेरे इल्म के ज़रीए खैर (भलाई) माँगता हूँ और तेरी कुदरत के ज़रीए कुदरत माँगता हूँ और तुझ से तेरा बड़ा फज़्ल माँगता हूँ, तू कुदरत रखता है, और मैं नहीं रखता, तू जानता है और मैं नहीं जानता और तू गैबों का जानने वाला है, ऐ अल्लाह ! अगर तू जानता है के यह काम मेरे लिए मेरे दीन और मेरी दुनिया और मेरी आख़िरत में बेहतर है तो तू मुझे उस पर कुदरत दे, उसे मेरे लिए आसान कर दे, फिर मेरे लिए उस में बरकत दे, ऐ अल्लाह ! अगर तू जानता है के यह काम मेरे दीन और मेरी दुनिया और मेरी आख़िरत में बुरा है तो तू मुझे इस को हटा दे और मुझे इस से हटा दे और मुझे ख़ैर पर कुदरत दे, जहाँ भी हो फिर मुझे उस से खुश कर दे।
वज़ाहत :
1. हर काम के लिए इस्तिख़ारह कर सकते हैं। पहले दो रकअत नफिल नमाज़ पढ़ कर यह दुआ पढ़नी चाहिए।
2. दो मुकामात पर हदीस के रावी को शक हुवा के आप “आकिबतिअम्री” कहा, या “आजिलिअम्री” कहा।
ख़ुत्ब-ए-निकाह:
यह खुत्बह और यह आयतें पढ़ें।
इन्नल-हम्द, लिल्लाहि नहमदुहू व-नस्तईनुह, वनस्तगफिरूह, व नऊजुबिल्लाहि
मिन शुरुरि अन्फुसिना, वमिन-सय्यिआति अअमालिना, मैं-यहदिहिल्लाहु फला मुज़िल्ल-लह, वमैंयुज़लिल फला हादियलह, वअश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीक लह, वअशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहू वरसूलुह।
अम्मा बअद 2 (सहीह)
या अय्युहल्ली-न आमनु ईत्तकुल्ला-ह हक्क तुकातिहि-वला तमू तुन्न इल्ला वअन्तुम मुस्लिमून. 3
या अय्युहन्नासुत्तकू-रब्बकुमुल्लजी ख़-ल-क-कुम-मिन नफसिंव वाहिदतिंव् व-ख़-ल-क-मिन्हा ज़वजहा वबस्स मिन्हुमा रिजालन कसीरंव-वनिसाअ- वत्तकुल्लाहल्लज़ी-तसा अलून-बिही वल-अरहाम-इन्नल्ला-ह का-न-अलैकुम रकीबा. 4
या अय्युहल्लज़ी-न आमनु ईत्तकुल्ला-ह व कूलू कौ-ल-न सदीदा, युस्लिह लकुम अअमालकुम वयग्फिर लकुम जुनूबकुम वमैंयुतिइल्ला-ह वसलूहू फकद् फा-ज़ फौज़न अज़ीमा 5
खुत्ब-ए-निकाह का तर्जुमा:
बेशक तमाम तारीफें अल्लाह के लिए हैं। हम उसी की तारीफ करते हैं और हम उस से मदद माँगते हैं, और हम उस से मग्फिरत माँगते हैं, और हम अपने नफ्सों की बुराई से और अपने बुरे अमलों से अल्लाह की पनाह माँगते हैं।
जिस को अल्लाह हिदायत दे उस को कोई गुमराह करने वाला नहीं। और जिस को वह गुमराह कर दे तो उस को कोई हिदायत देने वाला नहीं और मैं गवाही देता हूँ के अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं वह अकेला है उस का कोई शरीक नहीं और मैं गवाही देता हूँ के बेशक मुहम्मद ﷺ उस के बन्दे और उस के रसूल हैं।
वजाहत : रसूलुल्लाह ﷺ जुमुअह के खुत्बे में फरमाते “अम्मा बअद फइन्न ख़ैरल हदीसि किताबुल्लाह व ख़ैरल-हृदयि हृदय मुहम्मदिन ﷺ वशर्रल उमरि – मुहदसातुहा – व कुल्लु बिद्धतिन जलालह.” 6
तर्जुमा : इसके बाद बेशक बेहतरीन बात अल्लाह की किताब है और बेहतरीन तरीका मुहम्मद ﷺ का तरीका है और बुरे काम (दीन में) हर नए काम हैं और हर बिदअत गुमराही है।
निकाह करने वाले को दुआएँ:
بَارَكَ اللهُ لَكَ
1. बारकल्लाहु लक 7
तर्जुमा : अल्लाह आप को बरकत दे।
بَارَكَ اللهُ لَكُمْ، وَ بَارَكَ عَلَيْكُمْ، وَ جَمَعَ بَيْنَكُمَا فِى خَيْرٍ
2. बारकल्लाहु-लकुम वबा-र-क- अलैकुम व-ज-म-अ बै-न कुमा-फी ख़ैर। 8 (सहीह)
तर्जुमा : अल्लाह तुम्हें बरकत दे और तुम पर बरकत दे और तुम दोनों के बीच भलाई में इत्तिफाक दे।
बीवी से पहली मुलाकात की दुआ:
औरत, ख़ादिम या जानवर को हासिल करने के बाद यह दुआ पढ़नी चाहिए।
اللهم إنّي اَسْتَلْكَ خَيْرَهَا، وَ خَيْرَ مَا جَبَلْتَهَا عَلَيْهِ، وَأَعُوذُ بِكَ
مِنْ شَرِّهَا، وَ مِنْ شَرِّ مَا جَبَلْتَهَا عَلَيْهِ
अल्लाहुम्म इन्नी अस्सअलु-क ख़ैरहा, व-ख़ैर माजबल् तहा अलैहि व अऊजुबि-क मिन् शर्रिहा वमिन शर्रि मा-जबल् तहा अलैहि. 9 (हसन)
तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! बेशक मैं तुझ से सवाल करता हूँ इस की भलाई का और उस चीज़ की भलाई का जिस पर तुने इस को पैदा किया है और मैं पनाह माँगता हूँ तुझ से इस की बुराई से और उस बुराई से जिस पर तुने उस को पैदा किया है।
मुजामअत् (हमबिस्तरी / संभोग) की दुआ:
بِسمِ اللهِ اللهُمَّ جَنِّبْنَا الشَّيْطَانَ، وَ جَيْبِ الشَّيْطَانَ مَا رَزَقْتَنَا
बिस्मिल्लाहि अल्लाहुम्म जन्निब्नश्शैता-न-व जन्निबिशैता-न मा-रज़क-तना 10
तर्जुमा : अल्लाह के नाम से, ऐ अल्लाह ! हम को शैतान से दूर रख और शैतान को दूर रख उस से जो तू हमें रोज़ी दे।
फाइदा : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया अगर कोई यह दुआ पढ़ ले और उस को अगर बच्चा नसीब हो, तो उस बच्चे को शैतान कभी नुकसान नहीं पहुँचा सकता।
औलाद माँगने की दुआ:
رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّلِحِينَ سورة مفت
रब्बि हब्ली मिनस्सालिहीन. 11
तर्जुमा: ऐ मेरे रब ! मुझे नेक औलाद अता फरमा।
बच्चे की पैदाइश पर बच्चे को बरकत की दुआ देनी चाहिए. 12 (सहीह )
बीवी बच्चों को नेक बनाने की दुआ:
رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ اَزْوَاجِنَا وَذُرِّيَّتِنَا قُرَّةَ أَعْيُنٍ وَاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِينَ
إماماً سوره فرقان
रब्बना हब् लना मिन् अज़वाजिना व जुर्रिय्यातिना कुर्र-त- अय्युनिं-व् वज्अल्ना लिल् मुत्तकी-न इमामा 13
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! तू हमारी बीवीयों और औलाद से आँखों की ठंडक अता फरमा और हमें परहेज़गारों (नेक) लोगों का इमाम बना।
- सहीह बुख़ारी : किताबुत्तहज्जुद (1 /519) ↩︎
- सुनन इब्ने माजाह : क़िताबुनिकाह (1892, 1893) ↩︎
- सूरह आले इमरान : 102 ↩︎
- सूरह निसा : 1 ↩︎
- सूरह अहज़ाब : 70-71 ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुल जुमुअह ( 2 / 323) ↩︎
- सहीह बुख़ारी : किताबुददअवात (3 /547 ) ↩︎
- सुनन इब्ने माजह: किताबुन्निकाह (1905) ↩︎
- सुनन अबी दाऊद : किताबुन्निकाह : (2160 ) ↩︎
- सहीह बुख़ारी : किताबुददअवात ( 3/548 ) ↩︎
- सूरह साफ्फात : 100 ↩︎
- सुनन अबीदाऊद किताबुल अदब (5106) ↩︎
- सूरह फुरकान 74 ↩︎
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