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Ramzan aur Dono Eido ki Duaayein
नया चाँद देखने की दुआ, रोज़ह इफ्तार करने की दुआ, रोज़ह इफ्तार कराने वाले को दुआ, शबे कद्र की दुआ, तकबीराते ईदैन (ईदुलफित्र और ईदुल अज़हा की तकबीरात), ईद के दिन मुलाकात की दुआ।
नया चाँद देखने की दुआ:
اللَّهُمَّ أَهِلَّهُ عَلَيْنَا بِالْآمَن وَالْإِيمَانِ، وَالسَّلَامَةِ وَالْإِسْلَامِ ، رَبِي وَ
अल्लाहुम्म अहिल्लहु अलैना बिल अम्नी वल ईमानि, वस्सलामति वल इस्लामि, रब्बी व रब्बुकल्लाह. 1 (सहीह)
तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! हम पर इस चाँद को अमन, ईमान, सलामती और इस्लाम वाला कर दे (ऐ चाँद ) मेरा और तेरा रब अल्लाह ही है।
वजाहत : चाँद देखने की दुआ हिलालु ख़ैरिंव वरुरदिन आमन्तु बिल्लज़ीरखलक इस दुआ को अल्लामा अल्बानी ने ज़ईफ कहा है। सुनन अबी दाऊद : किताबुल अदब (5092)
सेहरी की दुआ:
वज़ाहत : मुआशरे में सेहरी के नियत की जो दुआ मशहूर है वो हदीस से साबित नहीं। नियत दिल के इरादे का नाम है।आपका सहरी के लिए उठना ही नियत में शुमार है। लिहाजा सेहरी के लिए किसी खास दुआ का एहत्माम करना जरुरी नहीं।
रोज़ह इफ्तार करने की दुआ:
ذَهَبَ الظَّمَأُ وَابْتَلتِ الْعُرُوقُ، وَ ثَبَتَ الْأَجُرُ إِنْ شَاءَ اللهُ
ज़हबज् ज़मऊ वब्तल्लतिल उरुकु व-सबतल अजरु इन्शाअल्लाह 2 (हसन)
तर्जुमा : प्यास बुझ गई, रगें भीग गईं और अगर अल्लाह ने चाहा तो अजरो सवाब साबित हुवा।
वज़ाहत : इफ्तार की दुआ पढ़ कर बिस्मिल्लाह कह कर रोज़ह इफ्तार करना चाहिए ।
वजाहत : रोज़ह इफ्तार की मशहूर दुआ अल्लाहुम्म लक सुम्तुवअला रिज़किक अफतरतु इस दुआ को अल्लामा अल्बानी ने ज़ईफ कहा है । सुनन अबी दाऊद : किताबुस्सौम (2358)
रोज़ह इफ्तार करने के बाद की दुआ:
वजाहत : जो दुआएँ खाने पीने के बाद पढ़ी जाती हैं वही पढ़ें।
देखे: खाने पिने की दुआएँ
रोज़ह इफ्तार कराने वाले को दुआ:
वज़ाहत : रोज़ह इफ्तार कराने वाले को वही दुआएँ दी जाएँ जो मेज़बान (खिलाने पिलाने वाले) को दी जाती हैं।
शबे कद्र की दुआ:
اللهُمَّ إِنَّكَ عَفُوٌّ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّى
अल्लाहुम्म – इन्नक- अफुव्वुन – तुहिब्बुल – अफ्-व- फअफुअन्नी. 3 (सहीह )
तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! बेशक तू माफ करने वाला है, माफी को पसंद करता है, तू मुझे माफ फरमा।
तकबीराते ईदैन : (ईदुलफित्र और ईदुल अज़हा की तकबीरात)
الله اكبر، الله أكبر ، لا إله إلا اللهُ، وَاللهُ أَكْبَرُ ، اللهُ أَكْبَرُ،
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इला-ह इल्लल्लाह, वल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, वलिल्लाहिल हम्द 4 (सहीह)
तर्जुमा : अल्लाह बहुत बड़ा है, अल्लाह बहुत बड़ा है, इबादत के लाइक कोई नहीं है मगर अल्लाह, और अल्लाह बहुत बड़ा है, अल्लाह बहुत बड़ा है और सब तारीफ अल्लाह के लिए है।
ईद के दिन मुलाकात की दुआ:
تقبلَ اللهُ مِنَّا وَ مِنْكَ
तकब्बलल्लाहु – मिन्ना – व मिन्क. 5 (सहीह )
तर्जुमा : अल्लाह हम से और आप से कबूल फरमाए।
वज़ाहत : सहाब-ए-किराम ईद के दिन मुलाकात के वक़्त यह दुआ पढ़ते थे।
- सुननुददारमी : किताबुस्सौम (1688) ↩︎
- सुनन अबी दाऊद : किताबुस्सौम ( 2357 ) ↩︎
- सुनन इब्ने माजह: किताबुददुआ ( 3850 ) ↩︎
- इरवाउल गलील लिलअल्बानी : (3/125) ↩︎
- तमामुलमिन्ह लिलअल्बानी : (354) ↩︎


