Contents
- तौबा और अस्तगफार की दुआएँ:
- दुनिया और आख़िरत में भलाई माँगने की दुआ:
- हिदायत पर काइम रहने की दुआ:
- भूल और गुनाह से माफी की दुआ:
- जहन्नम के अज़ाब से बचने की दुआ:
- दुश्मनों पर कामियाबी की दुआ:
- इस्लाम पर वफात पाने की दुआ:
- नेक लोगों के साथ वफात की दुआ:
- कियामत के दिन रुसवाई से बचने की दुआ:
- वालिदैन और मोमिनों के लिए मग्फिरत की दुआ:
- बीवी बच्चों को आँखों की ठंडक बनाने की दुआ:
- अगले मोमिनों के हसद से बचने की दुआ:
- दुआ की कबूलियत के लिए दुआ:
- बख्शिश और रहम माँगने की दुआ:
- वालिदैन के हक में दुआ:
- अपनी औलाद को नमाज़ी बनाने की दुआ:
- नेक और सालेह औलाद माँगने की दुआएँ:
- रिज़्क माँगने की दुआ:
- बरकत माँगने की दुआ:
- इल्म में ज़्यादती की दुआ:
- दिल और ज़बान में ताकत पैदा करने की दुआ:
- शैतानी वसवसह से पनाह माँगने की दुआ:
- नेअमतों का शुक्र और नेक अमल की तौफीक की दुआ:
- बीमारी और तकलीफ दूर करने की दुआ:
- किसी भी दुआ के ख़ातिमह पर पढ़ने की दुआ:
Qurani Duaayein
वज़ाहत : रसूलुल्लाह ﷺ ने रूकूअ और सजदह में कुरआन पढ़ने से मना फरमाया है। 1
तौबा और अस्तगफार की दुआएँ:
لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ سُبْحْنَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّلِمِينَ سورة انبياء
1. ला इलाह इल्ला अन्त सुब्हान-क इनी कुन्तु – मिनज्- जालिमीन 2
तर्जुमा : इलाही तेरे सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं, तू पाक है, बेशक मैं ज़ालिमों में हो गया।
फजीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जो इस दुआ के साथ दुआ करे तो उस की दुआ कबूल होगी। 3 (सहीह)
رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ
2. रब्बना ज़लमना अन्फुसना वईल लम तग्फिर लना वतर हमना लनकूनन्ना मिनल खासिरीन 4
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! हमने अपना बड़ा नुकसान किया, अगर तु हमारी मग्फिरत न करेगा, और हम पर रहम न करेगा, तो वाकई हम नुकसान उठाने वालों में से हो जाएँगे।
दुनिया और आख़िरत में भलाई माँगने की दुआ:
رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
रब्बना आतिना फिद दुनिया हसनतव वाफिल आखिरति हसनतव व किना अज़ाबन नार 5
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! हमें दुनिया और आख़िरत में भलाई दे और हमें आग के अज़ाब से बचा।
फजीलत : रसूलल्लाह ﷺ यह दुआ ज़्यादातर पढ़ा करते थे। 6
हिदायत पर काइम रहने की दुआ:
رَبَّنَا لاَ تُزِغْ قُلُوبَنَا بَعْدَ إِذْ هَدَيْتَنَا وَهَبْ لَنَا مِن لَّدُنكَ رَحْمَةً إِنَّكَ أَنتَ الْوَهَّابُ
रब्बना ला तुज़िग कुलूबना ब अदा इज़ हदैतना, व हब लना मिल लदुन्का रहमह, इन्नका अंतल वह्हाब 7
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! हमें हिदायत देने के बाद हमारे दिल टेड़े न कर दे और हमें अपने पास से रहमत अता फरमा, यकीनन तू ही बहुत बड़ी अता करने वाला है।
भूल और गुनाह से माफी की दुआ:
رَبَّنَا لاَ تُؤَاخِذْنَا إِن نَّسِينَا أَوْ أَخْطَأْنَا
رَبَّنَا وَلاَ تَحْمِلْ عَلَيْنَا إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُ عَلَى الَّذِينَ مِن قَبْلِنَا
رَبَّنَا وَلاَ تُحَمِّلْنَا مَا لاَ طَاقَةَ لَنَا بِهِ وَاعْفُ عَنَّا وَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا أَنتَ مَوْلاَنَا فَانصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ
रब्बना ला तुआखिज़ना इन नसीना अव अख्तअना, रब्बना वला तहमिल अलैना इसरन कम हमल्तहू अलल लज़ीना मिन क़ब्लिना, रब्बना वला तुहम्मिलना मा ला ताक़ता लाना बिह वाफु अन्ना वाग्फिर लाना वर वर्हम्ना अंता मौलाना फंसुरना अलल कौमिल काफ़िरीन 8
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! अगर हम भूल गए हों, या ख़ता (गुनाह) की हो तो हमें न पकड़ना, ऐ हमारे रब ! हम पर वह बोझ (भार) न डाल जो हम से पहले लोगों पर डाला था, ऐ हमारे रब ! हम पर वह बोझ न डाल जिस की हमें ताकत न हो और हम से दरगुज़र फरमा। और हमें बख़्श दे, और हम पर रहम कर। तू ही हमारा मालिक है, हमें काफिरों की कौम पर गल्बह अता फरमा।
जहन्नम के अज़ाब से बचने की दुआ:
رَبَّنَا اصْرِفْ عَنَّا عَذَابَ جَهَنَّمَ، إِنَّ عَذَابَهَا كَانَ غَرَاماً سوره فرقان
रब्बनस् रिफ अन्ना अजा-ब- जहन्नम, इन्नअज़ा – बहा -का-न गरामा। 9
तर्जुमा: ऐ अल्लाह ! हम से जहन्नुम का अज़ाब फेरे रहना, क्यूंकि उस का अज़ाब चिमट जाने वाला है।
दुश्मनों पर कामियाबी की दुआ:
ربَّنَا اغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَإِسْرَافَنَا فِي أَمْرِنَا وَثَبِّتْ أَقْدَامَنَا وانصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَِ
रब्बनग फिर लना ज़ुनूबना व इसरा फ़ना फ़ी अमरिना व सबबित अकदामना वन सुरना अलल कौमिल काफ़िरीन 10
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! हमारे गुनाहों को बख़्श दे और हम से हमारे कामों में जो ज़्यादती हुई है, उसे माफ फरमा और हमें साबित कदमी अता फरमा, और हमें काफिरों की कौम पर मदद दे।
इस्लाम पर वफात पाने की दुआ:
رَبَّنَا أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَتَوَفَّنَا مُسْلِمِينَ
रब्बना अफरिग अलैना सबरव व तवफ्फना मुस्लिमीन 11
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! हमारे ऊपर सब्र का फैज़ान फरमा और हमारी जान हालते इस्लाम पर निकाल।
नेक लोगों के साथ वफात की दुआ:
رَبَّنَا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَكَفِّرْ عَنَّا سَيِّئَاتِنَا وَتَوَفَّنَا مَعَ الأبْرَارِ
रब्बनग फिर लना ज़ुनूबना व काफ्फिर अन्ना सैययि आतिना व तवफ्फना मअल अबरार 12
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! तू हमारे गुनाह माफ फरमा और हमारी बुराइयाँ हम से दूर कर दे और हमारी मौत नेकों के साथ कर।
कियामत के दिन रुसवाई से बचने की दुआ:
رَبَّنَا وَآتِنَا مَا وَعَدتَّنَا عَلَى رُسُلِكَ وَلاَ تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيَامَةِ إِنَّكَ لاَ تُخْلِفُ الْمِيعَاد
रब्बना व आतिना मा वअत तना अला रुसुलिक वला तुख्ज़िना यौमल कियामह इन्नका ला तुख्लिफुल मीआद 13
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! हमें वह दे जिस का वादा तूने हम से अपने रसूलों की ज़बानी किया है और हमें क़ियामत के दिन रूसवा न कर, यकीनन तू वादा ख़िलाफी नहीं करता।
वालिदैन और मोमिनों के लिए मग्फिरत की दुआ:
رَبَّنَا اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِلْمُؤْمِنِينَ يَوْمَ يَقُومُ الْحِسَابُ
रब्बनफिरली वलिवालिदै – य- वलिल मु’मिनीना, यौमा यकूमुल – हिसाब 14
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! मुझे बख़्श दे और मेरे माँ-बाप को भी बख़्श दे और दीगर मोमिनों को भी बख़्श जिस दिन हिसाब होने लगे।
बीवी बच्चों को आँखों की ठंडक बनाने की दुआ:
رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ أَزْوَاجِنَا وَذُرِّيَّاتِنَا قُرَّةَ أَعْيُنٍ وَاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِينَ إِمَامًا
रब्बना हब लना मिन अज्वाजिना वज़ुररिय यातिना कुररता अ’अयुन व जअल्ना लिल मुत्तक़ीना इमामा 15
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! तू हमें हमारी बीवीयों और औलाद से आँखों की ठंडक अता फरमा और हमें परहेज़गारों का पेशवा बना।
अगले मोमिनों के हसद से बचने की दुआ:
رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا وَلِإِخْوَانِنَا الَّذِينَ سَبَقُونَا بِالْإِيمَانِ وَلَا تَجْعَلْ فِي قُلُوبِنَا غِلًّا لِّلَّذِينَ آمَنُوا
رَبَّنَا إِنَّكَ رَؤُوفٌ رَّحِيمٌ
रब्बनग फिर लना वलि इख्वानिनल लज़ीना सबकूना बिल ईमान, वला तज अल फ़ी कुलूबिना गिल लल लिल लज़ीना आमनू रब्बना इन्नका रऊफ़ुर रहीम 16
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! हमें बख़्श दे और हमारे उन भाईयों को भी जो हम से पहले ईमान ला चूके हैं और ईमान वालों की तरफ से हमारे दिल कीना न डाल । ऐ हमारे रब ! बेशक तू शफ्कृत और महेरबानी करने वाला है।
दुआ की कबूलियत के लिए दुआ:
رَبَّنَا تَقَبَّلْ مِنَّا إِنَّكَ أَنْتَ السَّمِيعُ العَلِيمُ
रब्बना तक़ब्बल मिन्ना इन्नका अन्तस समीउल अलीम 17
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! तू हम से कबूल फरमा तू ही सुनने वाला, जानने वाला है।
बख्शिश और रहम माँगने की दुआ:
سوره مومنون رَبِّ اغْفِرْ وَارْحَمُ وَ أَنْتَ خَيْرُ الرَّحِمِينَ )
रब्बिफिर वर्हम व-अन्त ख़ैरूर – राहिमीन 18
तर्जुमा : ऐ मेरे रब ! तू मुझे बख़्श और रहम कर और तू सब महेरबानों से बेहतर महेरबानी करने वाला है।
वालिदैन के हक में दुआ:
رَبِّ ارْحَمْهُمَا كَمَا رَبِّنِي صَغِيراً سورة بنی اسرائیل
रब्बिरहम हुमा, कमा, रब्बयानी सगीरा. 19
तर्जुमा: ऐ मेरे रब ! उन पर वैसा ही रहम कर जैसा उन्हों ने मेरे बचपन में मेरी परवरिश की है।
अपनी औलाद को नमाज़ी बनाने की दुआ:
رَبِّ اجْعَلْنِي مُقِيمَ الصَّلوةِ وَمِنْ ذُرِّيَّتِنِي ، رَبَّنَا وَ تَقَبَّلُ دُعَاءِ سورہ ابراہیم
रब्बिज् अनी मुकीमस्सलाति वमिन जुर्रिय्यती रब्बना व-त-कब्बल दुआ। 20
तर्जुमा : ऐ मेरे रब ! मुझे नमाज़ का पाबंद रख और मेरी औलाद को भी, ऐ मेरे रब ! मेरी दुआ कबूल फरमा।
नेक और सालेह औलाद माँगने की दुआएँ:
رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّالِحِينَ
1. रब्बि – हब् ली मिनस्सालिहीन. 21
तर्जुमा : ऐ मेरे रब ! मुझे नेक बख़्त औलाद अता फरमा ।
वज़ाहत : हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने औलाद के लिए यह दुआ की थी।
رَبِّ لَا تَذَرْنِي فَرْداً وَ أَنْتَ خَيْرُ الْوَارِثِينَ
2. रब्बिलातज़र-नी फरदों व अन्त ख़ैरुल-वारिसीन. 22
तर्जुमा: ऐ मेरे रब ! मुझे तन्हा न छोड़ना तू सब से बेहतर वारीस है।
वज़ाहत : हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम ने औलाद के लिए यह दुआ की थी।
रिज़्क माँगने की दुआ:
رَبِّ إِنِّي لِمَا أَنزَلْتَ إِلَيَّ مِنْ خَيْرٍ فَقِيرٌ
रब्बि इन्नी लिमा अन्जल्-त इलै-य-मिन – खैरिन फकीर 23
तर्जुमा : ऐ मेरे रब ! तू जो कुछ भलाई मेरी तरफ उतारे मैं उस का मोहताज हूँ।
बरकत माँगने की दुआ:
رَبِّ أَنزِلْنِي مُنزَلًا مُبَارَكًا وَأَنتَ خَيْرُ الْمُنزِلِينَ
रब्बि अन्जिल्नी मुन्जलम्मुबारकंव व अन्त ख़ैरूल मुन्ज़िलीन. 24
तर्जुमा: ऐ मेरे रब ! मुझे बा बरकत उतारना उतार और तू ही बेहतर है उतारने वालों में।
इल्म में ज़्यादती की दुआ:
رَبِّ زِدْنِي عِلْماً سوريا
रबि ज़िदनी इल्मा. 25
तर्जुमा: ऐ मेरे रब ! मेरा इल्म बढ़ा।
दिल और ज़बान में ताकत पैदा करने की दुआ:
رب اشرح لي صدري ويسر لي أمري واحلل عقدة من لساني يفقهوا قولي
रब्बिश रहली सदरी, वा यासिरली अमरी, वहलूल उक़दातन मिल्लिसानी, यफ कहू कौली 26
तर्जुमा : ऐ मेरे रब ! मेरा सीना मेरे लिए खोल दे और मेरे काम को मुझ पर आसान कर दे और मेरी ज़बान की गिरह (गाँठ) भी खोल दे ताकि लोग मेरी बात अच्छी तरह समझ सकें।
शैतानी वसवसह से पनाह माँगने की दुआ:
رَبِّ أَعُوذُ بِكَ مِنْ هَمَزَاتِ الشَّيَاطِينِ وَأَعُوذُ بِكَ رَبِّ أَن يَحْضُرُونَ
रब्बि अऊजुबि – क मिन ह-म-जातिश्शयातीन, व अऊजुबि- क रब्बि अय्य यहजुरून. 27
तर्जुमा : ऐ मेरे रब ! मैं शैतानों के वसवसों से तेरी पनाह चाहता हूँ और ऐ रब ! मैं तेरी पनाह चाहता हूँ के वह मेरे पास आ जाएँ।
नेअमतों का शुक्र और नेक अमल की तौफीक की दुआ:
رَبِّ أَوْزِعْنِي أَنْ أَشْكُرَ نِعْمَتَكَ الَّتِي أَنْعَمْتَ عَلَيَّ وَعَلَى وَالِدَيَّ وَأَنْ أَعْمَلَ صَالِحًا تَرْضَاهُ وَأَدْخِلْنِي بِرَحْمَتِكَ فِي عِبَادِكَ الصَّالِحِينَ.
रब्बि औज़िअनी अन अश्कु-र निअम-त-कल्लती अनअम्त अलै-य वअला वालिदै-य वअन् अअ-म-ल सालिहन तरज़ाहु व अदखिल्नी बिरहमति-क, फी इबादिकस्सालिहीन. 28
तर्जुमा : ऐ मेरे रब ! तू मुझे तौफिक दे के मैं तेरी इन नेअमतों का शुक्र बजालाउँ जो तूने मुझ पर इनाम की हैं और मेरे माँ-बाप पर और मैं ऐसे नेक आमाल करता रहूँ जिन से तू खुश रहे, मुझे अपनी रहमत से नेक बन्दों में शामिल कर ले।
बीमारी और तकलीफ दूर करने की दुआ:
أَنِّي مَسَّنِيَ الضُّرُّ وَ أَنْتَ أَرْحَمُ الرَّحِمِينَ
अनी मस्सनिय जुरू व- अन्त अरहमुर रहिमीन. 29
तर्जुमा: मुझे यह बीमारी लग गई है और तू रहम करने वालों से ज़्यादा रहम करने वाला है ।
किसी भी दुआ के ख़ातिमह पर पढ़ने की दुआ:
سُبْحَانَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُونَ، وَسَلَامٌ عَلَى الْمُرْسَلِينَ. وَالْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ.
सुब्हान रब्बि- क रब्बिल-इज्जति अम्मा यसिफन व सलामुन आलमीन अलल्मुरसलीन, वल्हम्दुलिल्लाहि रब्बिल 30
तर्जुमा : पाक है आप का रब ! जो बड़ी इज़्ज़त वाला है हर उस चीज़ से जो (मुश्रिक) बयान करते हैं पयगम्बरों पर सलाम है और सब तरह की तारीफ अल्लाह के लिए है जो सारे जहाँ का रब है।
- सहीह मुस्लिम : किताबुस्सलात ( 2 / 76 ) ↩︎
- सूरह अम्बिया : 87 ↩︎
- सहीह तिर्मिज़ी : किताबुददवात (3 / 3505) ↩︎
- सूरह अअराफ 23 ↩︎
- सूरह बक़रह : 201 ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुज्ज़िक्र (6/285) ↩︎
- सूरह आलइमरान 8 ↩︎
- सूरह बकरह : 286 ↩︎
- सूरह फुरकान : 65 ↩︎
- सूरह आलइमरान 147 ↩︎
- सूरह आराफ 7:126 ↩︎
- सूरह आले इमरान : 193 ↩︎
- सूरह आले इमरान : 194 ↩︎
- सूरह इब्राहीम : 41 ↩︎
- सूरह फुरकान : 74 ↩︎
- सूरह हशर : 10 ↩︎
- सूरह बक़रह : 127 ↩︎
- सूरह मुअमिनून : 118 ↩︎
- सूरह बनी इस्राईल : 24 ↩︎
- सूरह इब्राहीम : 40 ↩︎
- सूरह साफ्फात : 100 ↩︎
- सूरह अम्बिया : 89 ↩︎
- सूरह कसस : 24 ↩︎
- सूरह मुक्मिनून 29 ↩︎
- सूरह ताहा : 114 ↩︎
- सूरह ताहा: 25 से 28 ↩︎
- सूरह मुम्मिनून 97-98 ↩︎
- सूरह नमल : 19 ↩︎
- सूरह अम्बिया 83 ↩︎
- सूरह साफ्फात 180 से 182 ↩︎