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Hajj aur Umrah ki Duaayein
तल्बियह:
हज और उमरह का एहराम बांधकर यह दुआ पढ़नी चाहिए।
لبيكَ اللهُمَّ لَبَّيْكَ، لَبِّيكَ لا شَرِيكَ لَكَ لَبِّيْكَ، إِنَّ الْحَمْدَ وَالنِّعْمَةَ لَكَ وَالْمُلْكَ، لاَ شَرِيكَ لَكَ
लब्बैक अल्लाहुम्म लब्बैक, लब्बैक ला शरीक ल-क लब्बैक, इन्नल हम्द वन्निम-त ल-क-वल्मुल्क ला शरीक लक 1
तर्जुमा: मैं तेरी ख़िदमत में हाज़िर हूँ ऐ अल्लाह, मैं तेरी ख़िदमत में हाज़िर हूँ, मैं तेरी ख़िदमत में हाज़िर हूँ, तेरा कोई शरीक नहीं, मैं तेरी ख़िदमत में हाज़िर हूँ, बेशक तमाम तारीफें और नेमतें और मुल्क तेरे लिए है, तेरा कोई शरीक नहीं।
फजीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जो कोई मुसलमान लब्बैक पुकारता है, तो उसके दाएँ बाएँ पथ्थर, दरख़्त और ढेले और पूरी ज़मीन की चीजें लब्बैक पुकारती हैं। 2 (सहीह)
तवाफ की दुआ:
रूकने यमानी और हजरे अस्वद के बीच यह दुआ पढ़नी चाहिए। 3 (हसन)
رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةٌ وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
रब्बना-आतिना-फिदुनिया-हसन-तं व्-व फिल आख़िरति हसन-तंव्-वकिना अज़ाबन्नार 4
तर्जुमा : ऐ हमारे रब ! हमें दुनिया और आख़िरत में भलाई दे और हमें आग के अज़ाब से बचा।
मकामे इब्राहीम के पास दुआ:
तवाफ से फारिग हो कर मकामे इब्राहीम के पास यह आयत पढ़ें। 5
وَاتَّخِذُوا مِنْ مَّقَامِ إِبْرَاهِمَ مُصَلَّى (سوره بقره آیت ۱۳۵ ، پاره ۱)
वत्तख़िजू मिम्मकामि इब्राहीम मुस्ला। 6
तर्जुमा: और मकामे इब्राहीम को नमाज़ पढ़ने की जगह बना लो।
सफा और मरवह की दुआ:
सफा और मरवह के क़रीब यह आयत पढ़ें। 7
إِنَّ الصَّفَا وَالْمَرْوَةَ مِن شَعَائِرِ اللَّهِ ۖ فَمَنْ حَجَّ الْبَيْتَ أَوِ اعْتَمَرَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِ أَن يَطَّوَّفَ بِهِمَا ۚ وَمَن تَطَوَّعَ خَيْرًا فَإِنَّ اللَّهَ شَاكِرٌ عَلِيمٌ
इन्नसफा-वल-मरव-त, मिन शआइरिल्लाह फमन हज्जल-बै-त अविअ-त-म-र, फलाजुना-ह, अलैहि-अे-यत्तौव-फ, बिहिमा, वमन्, त-तव्व-अ, ख़ैरन फइन्नल्ला-ह, शाकिरून अलीम। 8
तर्जुमा: बेशक सफा और मरवह अल्लाह की निशानीयों में से हैं, तो जो शख़्स ख़ान-ए-काबह का हज या उमरह करे उस पर कुछ गुनाह नहीं के वह दोनों का तवाफ करे और जो कोई नेक काम करे तो अल्लाह बड़ा कदरदाँ (कदर करने वाला) जानने वाला है।
सफा और मरवह के ऊपर दुआ:
सफा और मरवह पहाड़ी पर चढ़कर और किब्लह तरफ मुँह कर के अल्लाह की तौहीद और उस की बड़ाई बयान कर के यह दुआ तीन बार पढ़ें। 9
لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ، لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَ لَهُ الْحَمْدُ، وَهُوَ عَلَى كُلّ شَيْءٍ قَدِيرٌ، لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ، أَنْجَزَ وَعْدَهُ، وَ نَصَرَ عَبْدَهُ، وَهَزَمَ الْأَحْزَابَ وَحْدَهُ
ला इला–ह इल्लल्लाहु वह्दहू ला शरीक-लहू, लहुल मुल्कु व-ल हुल्हम्दु, वहु-व अलाकुल्लि शैइन क़दीर, ला इला-ह इल्लल्लाहु, वह दह अन्ज-ज़ – वअदह व-न-स-र अब्दह, व-ह-ज- मल् अहज़ा-ब वह्द्दह.
तर्जुमा : अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं वह अकेला है, उस का कोइ शरीक नहीं, उस के लिए मुल्क है और उसी के लिए तारीफ है, और वोह हर चीज़ पर कुदरत रखने वाला है। अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं, वह अकेला है, उस ने अपना वादा पूरा किया, और अपने बन्दे की मदद की और अकेले ने दुश्मनों की जमाअतों को शिकस्त (हार) दी।
रमी ऐ जिमार की दुआ:
जमरों को कंकरी मारते वक़्त हर कंकरी पर यह दुआ पढ़ें। 10
الله أكبر.
अल्लाहु अकबर
तर्जुमा : अल्लाह सबसे बड़ा है।
मश्अरूलहराम की दुआ:
मश्अरूलहराम के पास किब्लाह की तरफ मुंह कर के अल्लाह की तकबीर, तहलील, और तौहीद पुकारें, यानी यूँ कहें। 11
لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ، لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَ لَهُ الْحَمْدُ، وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ
ला इलाह, इल्लल्लाहु, वह्दहू ला शरीक-लहू लहुल मुल्कु व-लहुल हम्दु व-हु-व अला कुल्लि शैइन क़दीर.
तर्जुमा : अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं, वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं, उसी का मुल्क है और उसी के लिए तारीफ है और वह हर चीज़ पर कुदरत रखता है।
कुरबानी की दुआ:
देखिए: कुरबानी की दुआएँ
- सहीह मुस्लिम : किताबुल हज ( 3 / 186 ) ↩︎
- सहीह सुननुत्तिर्मीज़ी लिलअल्बानी किताबुल हज ( 1/828) ↩︎
- सुनन अबी दाऊद : किताबुल मनासिक ( 1892) ↩︎
- सूरह बकरह : 201 ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुल हज ( 3 / 247 ) ↩︎
- सूरह बक़रह 125 ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुल हज ( 3 / 246 ) ↩︎
- सूरह बक़रह 158 ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुल हज ( 3 / 246 ) ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुल हज ( 3 / 246 ) ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुल हज ( 3 / 246 ) ↩︎