Contents
- हर काम शुरु करने से पहले कहें:
- कुरआन पढ़ने से पहले कहें:
- जब कोई काम आइन्दह करना हो तो कहें:
- जब काम हो जाए तो कहें:
- ख़ुशी और ख़ैरियत के वक़्त कहें:
- किसी को हंसता देखें तो कहें:
- किसी को बरकत की दुआ दें तो कहें:
- भलाई करनेवाले का शुक्रिया अदा करते हुए कहें:
- मुसीबत के वक्त कहें:
- गुनाह (बुरी बात) से डर कर कहें:
- गुनाह का काम हो जाए तो कहें :
- ऊँचाई पर चढ़े तो कहें:
- नीचे की तरफ उतरें तो कहें:
- तअज्जुब के वक़्त कहें :
- अच्छा ख़्वाब देखें तो कहें:
- बुरा ख़्वाब देखें तो कहें: (तीन बार)
- गुस्सा आए तो कहें :
- दिल में वस्वसह ( गन्दा ख़याल ) आए तो कहें:
- कुत्ता भोंके तो कहें:
- गधा चिल्लाए तो कहें:
- मुर्ग बांग ( आवाज़, अजान ) दे तो कहें:
Kab Kya Kahein?
हर काम शुरु करने से पहले कहें:
بِسمِ اللهِ
बिस्मिल्लाह 1
तर्जुमा: अल्लाह के नाम से शुरु।
कुरआन पढ़ने से पहले कहें:
أَعُوذُ بِا اللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّحِيمِ
अऊज़ु बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम
तर्जुमा : मैं अल्लाह की पनाह चाहता हूँ शैतान मर्दूद से।
वज़ाहत : अल्लाह का फरमान है के जब कुरआन की तिलावत शुरु करो तो शैतान मर्दूद से अल्लाह की पनाह माँग लिया करो। 2
जब कोई काम आइन्दह करना हो तो कहें:
إن شاء الله
इन्शाअल्लाह
तर्जुमा : अगर अल्लाह चाहे।
वज़ाहत : अल्लाह पाक का हुक्म है अगर तुम्हें आइन्दा काम करना हो तो कह लिया करो के ‘अगर अल्लाह ने चाहा ‘। 3
जब काम हो जाए तो कहें:
فَلِلَّهِ الْحَمْدُ
फलिल्लाहिल हम्द 4
तर्जुमा: सब तारीफ अल्लाह के लिए है।
ख़ुशी और ख़ैरियत के वक़्त कहें:
ٱلْحَمْدُ لِلَّٰهِ
अल्हम्दु लिल्लाह 5
तर्जुमा : सब तारीफ अल्लाह के लिए है।
किसी को हंसता देखें तो कहें:
أجهز الله سنك
अजहज़ल्लाहु सिन्नक 6
तर्जुमा : अल्लाह तुमको हमेशा हंसता रखे।
किसी को बरकत की दुआ दें तो कहें:
بارك الله لك
बा-रकल्लाहु लक 7
तर्जुमा : अल्लाह आपको बरकत दे।
भलाई करनेवाले का शुक्रिया अदा करते हुए कहें:
جزاك الله خيرا.
जज़ाकल्लाहु ख़ैरा 8
तर्जुमा : अल्लाह तुमको अच्छा बदला दे।
वजाहत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया के जिसने भलाई करने वाले को यह दुआ दी तो उसने उसकी पूरी तारीफ कर दी।
मुसीबत के वक्त कहें:
إِنَّا لِلّهِ وَإِنَّـا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ
इन लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन. 9
तर्जुमा : हम सब अल्लाह के लिए हैं और हम सब उसी की तरफ लौटने वाले हैं।
फज़ीलत : अल्लाह का फरमान है के मुसीबत के वक़्त जो लोग (इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन) कहते हैं तो उन पर अल्लाह की रहमतें उतरती हैं और वही लोग हिदायत पाने वाले हैं। 10
गुनाह (बुरी बात) से डर कर कहें:
معاذالله
मआज़ल्लाह 11
तर्जुमा : अल्लाह की पनाह।
गुनाह का काम हो जाए तो कहें :
أستغفر الله.
अस्तगफिरुल्लाह
तर्जुमा: मैं अल्लाह से माफी चाहता हूँ।
फज़ीलत : अल्लाह का फरमान है के जो गुनाह व मअसियत (नाफरमानी) करे या अपने आप पर जुल्म करे, फिर इस्तिगफार करे तो वह अल्लाह को मग्फिरत करने वाला और रहम करने वाला पाएगा । 12
ऊँचाई पर चढ़े तो कहें:
الله أكبر.
अल्लाहु अकबर 13
तर्जुमा : अल्लाह सब से बड़ा है।
वज़ाहतः सहाबा ऊँची जगह चढ़ते तो ‘अल्लाहु अकबर’ कहते।
नीचे की तरफ उतरें तो कहें:
سُبْحَانَ اللهِ
सुब्हानल्लाह 14
तर्जुमा : अल्लाह पाक है।
वज़ाहत : सहाबा नीची जगह में उतरते तो ‘सुब्हानल्लाह’ कहते।
तअज्जुब के वक़्त कहें :
الله أكبر. / سُبْحَانَ اللهِ
अल्लाहु अकबर (या) सुब्हानल्लाह. 15
अच्छा ख़्वाब देखें तो कहें:
ٱلْحَمْدُ لِلَّٰهِ
अल्हम्दुलिल्लाह 16
तर्जुमा: सब तारीफ अल्लाह के लिए है ।
बुरा ख़्वाब देखें तो कहें: (तीन बार)
أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّحِيمِ
अऊज़ुबिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम 17
वजाहत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जब तुम में से कोई बुरा ख़्वाब देखे तो बाएँ तरफ तीन बार थू-थू करे फिर तीन बार शैतान से अल्लाह की पनाह माँगे।
गुस्सा आए तो कहें :
أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّحِيمِ
अऊज़ुबिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम 18
फाइदा : रसूलुल्लाह ﷺने फरमाया : गुस्से के वक़्त अऊजु बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम पढ़ने से गुस्सा दूर हो जाएगा ।
दिल में वस्वसह ( गन्दा ख़याल ) आए तो कहें:
أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّحِيمِ
अऊज़ुबिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम
वजाहत :
1) रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया के जब शैतान तुम्हारे पास आकर वस्वसह डाले तो तुम अल्लाह की पनाह माँगो। 19
2) रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया : नमाज़ में शैतान का वस्वसह आए तो अल्लाह की पनाह माँगो और बाएँ (उल्टे) कन्धे की जानिब रुख़ ( चेहरा ) करके तीन बार थू-थू करो । 20
कुत्ता भोंके तो कहें:
أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّحِيمِ
अऊज़ुबिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम 21
वजाहत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया के जब तुम रात को कुत्ते के भोंकने की और गधे की आवाज़ सुनो तो अल्लाह की पनाह माँगो, क्योंकि वह जो देखते हैं तुम नहीं देखते।
गधा चिल्लाए तो कहें:
أَعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّحِيمِ
अऊज़ुबिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम 22
वजाहत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया के जब तुम गधे की आवाज़ सुनो तो अल्लाह की पनाह माँगो क्योंकि वह शैतान को देखता है ।
मुर्ग बांग ( आवाज़, अजान ) दे तो कहें:
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَلْكَ مِنْ فَضْلِكَ
अल्लाहुम्म इन्नी अस्अलु-क मिन फलक.
तर्जुमा: ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से तेरा फज्ल माँगता हूँ ।
वजाहत :
1. रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया के जब तुम मुर्ग की आवाज़ सुनो तो अल्लाह का फ़ज़्ल (महेरबानी ) माँगो क्योंकि वह फरिश्ता देखता है । 23
2. और फरमाया मुर्ग को गाली मत दो क्योंकि वह नमाज़ के लिए बेदार करता (जगाता) है । 24
- तफसीर इब्ने कसीर (तफसीर सूरह फातिहा) ↩︎
- सूरह कहफ : 23-24 पारह 15 ↩︎
- सूरह नहल : 98 पारह 14 ↩︎
- सुनन अबी दाऊद : किताबुस्सलात (499) ↩︎
- सहीह बुख़ारी : किताबुत्तफसीर सूरह बनी इसराईल ( 2 / 901 ) ↩︎
- सहीह बुख़ारी : किताबुल मनाकिब (2/434) ↩︎
- सहीह बुखारी : किताबुद दवात (3 / 547) ↩︎
- सहीह सुननुत्तिर्मिज़ी लिल्अल्बानी : किताबुलबिर्र (2 / 2035) ↩︎
- सूरह बकरह : 156 पारह 2 ↩︎
- सूरह बकरह : 157 पारह 2 ↩︎
- सूरह यूसुफ 23 पारह 12 ↩︎
- सूरह निसाअ 110 पारह 5 ↩︎
- सहीह बुख़ारी : किताबुल जिहाद (2 / 147) ↩︎
- सहीह बुख़ारी : किताबुल जिहाद ( 2 / 147 ) ↩︎
- सहीह बुख़ारी : किताबुल अदब ( 3 / 480 ) ↩︎
- सहीह बुख़ारी : किताबुत्तअबीर ( 3 /790) ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुअया (5/421) ↩︎
- सहीह सुननुत्तिर्मिज़ी लिल्अल्बानी : किताबुद दवात ( 3 / 3452 ) ↩︎
- सहीह बुख़ारी : किताब बदउल खल्क (2 / 272) ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुस्सलाम ( 5 / 380 ) ↩︎
- सुनन अबी दाऊद : किताबुल अदब ( 5103 ) ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुज़ ज़िक्र वददुआ ( 6 / 306) ↩︎
- सहीह मुस्लिम : किताबुज़ ज़िक्र वददुआ ( 6 / 306) ↩︎
- सुनन अबीदाऊद : किताबुल अदब ( 5101 ) ↩︎